जन्म-तिथि - सितंबर की दसवीं तारीख़
आयु के किस मोड़ पर लिखना आरंभ किया, इन्हें भी ठीक से स्मृति नहीं।
क्या लिखा, यह इन्हें महत्त्वपूर्ण नहीं लगता, लेकिन आज लेखनी जो भी कह पाती है, शैशव के उसी महत्त्वहीन लेखन के कारण ही है।
निरंतर लिखते रहे -- गीत, कविता, निबंध, कहानियाँ। जो देखा या महसूस किया, लिख दिया।
हाँ, यदि रंग-मंच सामने आ गया, अभिव्यक्ति की शेष विधायें उस क्षण गौण हो गयीं। छोटे-छोटे नाटक लिखे भी और मंचित भी किये।
'कादम्बिनी' मे कुछ लघु-कथायें अरसा पहले प्रकाशित हुईं परंतु अन्य कुछ पत्रिकाओं द्वारा धोखा खाने के बाद अब केवल लिखते हैं और रख देते हैं।
यदा-कदा, चित्र-प्रदर्शनी एवं संगीत-समारोहों में जाते हैं। सूफ़ी क़लाम में डूब जाने में इन्हें सुख मिलता है।
पितामह पंडित आनंद कुमार (प्रख्यात नाटक 'बेगम का तक़िया' के सर्जक) और श्वसुर श्री मदन 'शलभ' ( सुविख्यात कवि) के स्नेहाशीष के कारण ही लेखनी हाथ में है और कर्म-रत है।
मुख्य कार्यालय - मुंबई (पश्चिम रेलवे)। फ़िलहाल डेपुटेशन पर दिल्ली मेट्रो में डी.जी.एम (सिगनल एवं टेलीकॉम) के पद पर कार्यरत हैं।
किंतु यह तो अ-परिचय कहा जाना चाहिये, चाहते हैं कि लेखन स्वयं परिचय बने तो ठीक।
कहानी-कलश पर इनकी तिथि- ९वीं