पंकज तिवारी

कवि पंकज तिवारी का जन्मस्थान श्रीकांत का पुरवा (प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश) है। कविता से प्रथम सम्बन्ध, इनके बाबा जी (दादा जी) के द्वारा इनसे तुलसीकृत 'रामचरित मानस' का पाठ करवाना से है। जब माध्यमिक कक्षाओं के अध्ययन के लिए फ़ैजाबाद आना हुआ, तो वहाँ के वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों (जैसे स्वतॅत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस आदि) में फिल्मी धुनों पर राष्ट्रभक्ति गीत लिखने का अवसर प्राप्त हुआ।, परन्तु कविता को इन्होंने समीप से तब जाना, जब ये इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए इलाहाबाद आये। कुछ कवि सम्मेलनों में जाने का अवसर भी मिला। सन् २००१ में कवि मनीष वंदेमातरम् के सम्पर्क में आने के पश्चात जैसे इनकी अनुभूतियों को पंख मिल गया। हिन्दी-गजल के संकलन की एक पुस्तक 'गजल-ए-हिनदुस्तानी' इनको बहुत प्रिय रही, विशेषरूप से महाकवि गोपालदास नीरज की गजलें। सन् २००२ के अगस्त के महीने में, कवि ने राजकुमार गोएल तकनीकी एवम् प्रबंधन संस्थान, गाज़ियाबाद में प्रवेश ले लिया, जहाँ "रैगिंग" नामक रस्म के समय वरिष्ठ छात्रों ने इनकी अभिरूचि जाननी चाही, इन्होंने कविता लिखना-पढ़ना बता दिया। कवितावाचन की इनकी शैली इतनी सुन्दर है कि जो इक बार सुन लेता है, बार-बार सुनना चाहता है। "फ्रेशर फंक्शन" में आखिर इन्हें कुछ सुनाना ही था तो कलम उठायी और कुछ कविताएँ लिख ही डाली। खूब वाह-वाही बटोरा। तब से अब तक अनवरत लिख रहे हैं। वर्तमान में कवि पंकज TCS नामक सॉफ़्टवेयर कम्पनी में साँफ़्वेयर इंजीनियर हैं।

रचनाएँ-
मुख्य रूप से कवि पंकज तिवारी हिन्दी कविता/गजल लिखते हैं जिसका कोई प्रमाणित संकलन उपलब्ध नहीं है। (५० से अधिक कविताएँ)

संपर्क-सूत्र-
ई-मेल-
erpankajtiwari at gmail dot com

इनका वार- बुधवार



योगदान --


क्या लिखोगे

मेरा यार

ज़ुदाई का मज़ा होता है

तुमने कहा कि मुझे भूल जाओ

चंद शेर

गया और नया साल

ग़मज़दा क्यूँ है

ख्वाबों में कई बार

तुम्हारी मर्ज़ी

आज फूल उदास है

ख़याल रखना भूल जाते हैं

गोरी

क़त्ल मुझको करें

तुझे चलना है तू चलता चल

ऐ तथाकथित सर्वशक्तिमान

इंकलाब हो जाये

जी चाहता है

इश्क की हमसे बात न करना

आप ने हाथ.....

मेरी बीबी कैसी हो

दोषी दिल बेरहम है

आप क्या कीजिए?

हैं कुछ खाते पुराने भी

एक शरारत बचपन में

उन्हें पता तो चले

हर रस्म

जहाँ भी डाल दूँ डेरा

तुम्हारी यादें

ऐ मेरे हुज़ूर

मैं शर्त लगा सकता हूँ

नहीं तो जान चली जाती है

मैं तुझको क्या यार कहूँ

मेरे तिरंगे प्यारे

फूलों की अहमियत

'आवारागर्द' है

क्यों मैं तुमसे प्यार करता हूँ