हिन्द-युग्म पर इनका वार- शनिवार
योगदान-
भूल गए जी
लौ तुम्हारी थी
कभी ना कहिये
दीवाना कर दिया
हम
मैने सोचा ना था
समाधान
दिल अभी पास था
लिखते जाओ
पेड़ हूँ मैं
तारीफ
मैं था वहाँ
गुरु
देखा जो तुमको मैंने
तसल्ली
खुन्नस
मिलने जाइए
आखरी मुलाकात
श्रेय
दान
जरूर
मौसम
फिर भी
शौक
टोकरी
भूल गए जी
लौ तुम्हारी थी
कभी ना कहिये
दीवाना कर दिया
हम
मैने सोचा ना था
समाधान
दिल अभी पास था
लिखते जाओ
पेड़ हूँ मैं
तारीफ
मैं था वहाँ
गुरु
देखा जो तुमको मैंने
तसल्ली
खुन्नस
मिलने जाइए
आखरी मुलाकात
श्रेय
दान
जरूर
मौसम
फिर भी
शौक
टोकरी
कहानी-कलश पर इनकी तिथि- ७वीं