गिरिराज जोशी "कविराज"

लेखक का जन्म राजस्थान के नागौर जनपद में हुआ। प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा भी वहीं पर हुयी। बचपन से ही हिन्दी साहित्य में रूचि थी मगर वातावरण अनुकूल नहीं होने के कारण लिखने में असमर्थ रहे। स्नात्तकोत्तर (M.Sc.) की शिक्षा प्राप्त करने हेतु दो वर्ष गंगानगर रहे। वहाँ हॉस्टल में अलग-अलग प्रान्त से आए छात्रों से विभिन्न संस्कृतियों को जानने का अवसर मिला और अनुकूल वातावरण भी। शरबजीतसिंह "काका" जैसे कवि मित्र मिलें और मनोज व गुरप्रित सिंह "गोपी" जैसे आलोचक भी। शरबजीतसिंह "काका" से सुफ़ी संत "बाबा बुल्ले शाह" के बारे में जानने का अवसर मिला। तद्पश्चात लेखक की कलम पुनः जागृत हुई और मित्रों से भरपूर सहयोग पाकर तेजी से फलने-फूलने लगी। लेखक ने अपनी अधिकांश रचनाऐं वहीं पर लिखी। ७६ प्रतिशत अंको से संगणक विज्ञान में एम.एस.सी. उत्तीर्ण करने के पश्चात लेखक ३ माह दिल्ली में रहे और फिर जयपुर। जयपुर में घटे एक अप्रत्याशित घटनाक्रम से आप संस्मरण लिखने को प्रेरित हुए और "वो तीस दिन" नामक संस्मरण लिखा। लेखक ने कई बार अपनी कविताओं को प्रकाशनार्थ पत्रिकाओं को भी प्रेषित किया परन्तु सफलता नहीं मिली। अंततः अन्य चिठ्ठाकारो से प्रेरित होकर लेखक ने अपनी रचनायें क्रमबद्ध रूप से अपने चिट्ठे ॥शत् शत् नमन॥ पर अगस्त २००६ से प्रकाशित करना शुरू कर दिया। वर्तमान में लेखक एक बहूराष्टीय कम्पनी में अभियंता के पद पर कार्यरत हैं।



इनका वार- रविवार

योगदान -

कुछ हाइकु ॰॰॰

दो क्षणिकाएँ ...

सिर्फ तुम्हारे लिए

ख्वाबों की रानी

॥शत् शत् नमन॥

छुआछुत ॰॰॰

ऐ दोस्त तेरी यादों को कैसे सजदा करें

क्यूं छोड़ तन्हा चले जाते हैं?

"सुमन" का महकना क्या जानो

भूला पाना उसे यूँ आसां तो नहीं॰॰॰

खुद से लड़ना नहीं आता

अँधियारे मेँ तुम कहीँ गुम हो जाओगे...

क्यूँ वक्त बरबाद करती है...

सोचो उसने क्या पाया, क्या खोया है

आज सोचा हमने

कोशिश करके तो देख

नैतिकता का पतन

भविष्य की सोच...

अनुपमा…….तुम अनुपम हो!

सपना...

अप्रेल-फूल

माँ, क्या तुम्हारा कर्तव्य नहीं?

अपराधबोध!!!

माँ, मुझे भी पंख लगा दो

वो सिर्फ “माँ” है

सैक्रेटरी

तू मानव है, मानव जैसी बात कर

पापा! आप समझ रहें है ना?

पूर्णता

कैसे थाम लूँ हाथ तुम्हारा?

कील

हर बात पर ताली बजाना बेवकूफी है

नियम

नफ़रत

गधा (?) गाड़ी