रश्मि प्रभा

जन्म- 13 फरवरी, सीतामढ़ी (बिहार)
शैक्षणिक योग्यता- स्नातक (इतिहास प्रतिष्ठा)
रुचि- कलम और भावनाओं के साथ रहना।
प्रकाशन- "कादम्बिनी" , "वांग्मय", "अर्गला", "गर्भनाल" और कुछ महत्त्वपूर्ण अखबारों में रचनायें प्रकाशित

सौभाग्य इनका कि ये कवि पन्त की मानस पुत्री श्रीमती सरस्वती प्रसाद की बेटी हैं और इनका नामकरण स्वर्गीय सुमित्रा नंदन पन्त ने किया और इनके नाम के साथ अपनी स्व रचित पंक्तियाँ इनके नाम की..."सुन्दर जीवन का क्रम रे, सुन्दर-सुन्दर जग-जीवन"।
शब्दों की पांडुलिपि इन्हें विरासत में मिली है। अगर शब्दों की धनी ये ना होती तो इनका मन, इनके विचार इनके अन्दर दम तोड़ देते...इनका मन जहाँ तक जाता है, इनके शब्द उसकी अभिव्यक्ति बन जाते हैं। यकीनन ये शब्द ही इनका सुकून हैं...कब शब्द इनके साथी हुए, कब इनके ख़्वाबों के सहचर बन गए, कुछ नहीं पता.... इतना याद है कि शब्दों से खेलना इन्हें इनकी माँ ने सिखाया. जिस तरह बच्चे खिलौनेवाला घर बनाते हैं, माँ ने शब्दों की टोकरी दी और कभी शाम, कभी सुबह, कभी यात्रा के मार्ग पर शब्दों को रखते हुए ये शब्द-शिल्पी बन गईं। व्यस्तताओं का क्रम बना, पर भावनाओं से भरे शब्द दस्तक देते गए .... शब्दों की जादुई ताकत माँ ने दी, कमल बनने का संस्कार पिता (स्व.रामचंद्र प्रसाद) ने, परिपक्वता समय की तेज आँधी ने।
सपने इनकी नींव हैं - क्योंकि इनका मानना है कि सपनों की दुनिया मन की कोमलता को बरकरार रखती है...हर सुबह चिड़ियों का मधुर कलरव - नई शुरूआत की ताकत के संग इनके मन-आँगन में उतरा...ख़ामोश परिवेश में सार्थक शब्दों का जन्म होता रहा और ये अबाध गति से बढती गईं और यह एक और सौभाग्य कि आज यहाँ हैं....अपने सपने, अपने आकाश, अपने वजूद के साथ!

निजी ब्लॉग- http://lifeteacheseverything.blogspot.com/

हिन्द-युग्म पर नियमित लेखन / निर्धारित दिन- रविवार