प्रकाशित बाल-रचनाएँ
डॉ॰ अनिल चड्डा बाल-उद्यान से सबसे सक्रिय रचनाकार हैं। दिल्ली में जन्मे और पले-बढ़े, 57 वर्षीय अनिल इस समय सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं। कविता बचपन से ही करते आ रहे हैं, शायद 14-15 वर्ष की उम्र से ही। दिल्ली से विज्ञान में स्नातक तक की पढ़ाई करने के बाद अपने कविता-लेखन में निखार लाने के लिये इन्होंने हिन्दी-साहित्य में एम. ए. एवं पी. एच. डी. किया। इनकी कविताएँ सरिता, मुक्ता इत्यादि में प्रकाशित होती रही हैं। अभी हाल ही में दिल्ली से प्रकाशित श्रेष्ठ काव्यमाला(खंड-3) में इनकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। अब ये केवल ब्लागिंग करते हैं और इनकी कविताएँ मुख्यत: इनके ब्लागों पर पढ़ी जा सकती हैं। इनकी कुछ रचनाएँ साहित्यकुंज शब्दकार जैसी ईपत्रिकाओं में भी पढ़ी जा सकती हैं। - दो एकम दो
- तीन एकम तीन
- चार एकम चार
- आओ गिट्टे खेलें
- चिड़िया रानी
- रोज नया इक पेड़ लगा रे
- बारिश बरसे
- बूँदा-बाँदी
- ये कम्पयूटर क्या होता है?
- अंधेरा दूर भगाओ
- बारिश आई
- आओ मिल कर शपथ उठायें
- भारत के आकाश बनें
- मेरा हाथी
- आओ राखी मनायें
- पप्पा चंदा ला दो
- मेरे नाना, मेरे नाना, अच्छी सी तुम टॉफी लाना
- मेंढक की मस्ती
- काली मक्खी
- रस्सी-टप्पा
- मम्मी-पापा
- गर्मी की छुट्टियाँ हैं आईं
हिन्द-युग्म के बाल-मंच पर स्थाई लेखन।