हिन्द-युग्म पर कवितायें
- मेरे घर चलोगे?
- पावस नीर की एक कविता
- धुएँ के कारण ढूँढ़ रही है समिति
- आखिरी बस में
- पुतलों का शहर
- कवि
- 'कवि-२'
- आवाजों का मसीहा
- अल्पविराम
- पुरानी कविता जो अब भी नई है
- जुलाई का पहला हफ्ता
- मेरी सबसे प्यारी कविता
- बचपन
- एक नयी कविता
मूलतः गुमला झारखण्ड से, १०वीं तक वहीं पढ़ाई, फिर डी॰ पी॰ एस॰ रांची से १२वीं, आजकल दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी स्नातक की पढ़ाई जारी। बचपन से घर पर साहित्य का माहौल मिला, या यूं कहें कविता घर के खाने में घुली मिली रही। पहली बार ६ठी कक्षा में किसी को प्रभावित करने के लिए कविता लिखे, खैर वो प्रयास तो असफल रहा पर कविता का प्रयास अभी भी जारी है. पहली कविता प्रभात ख़बर में छपी। फिलहाल अखबारों में स्वत्रांत लेखन के साथ कविता-लेखन का प्रयास चल रहा है।