सीमा कुमार

नाम : सीमा कुमार

जन्म स्थान : सहरसा, बिहार

शिक्षा :
१) १२वीं तक डी नोबिली स्कूल (मुगमा), धनबाद, झारखंड
२) स्नातक (बी०ए०), चित्रकला (विशेष), १९९५-१९९८ - बनस्थली विद्यापीठ , राजस्थान
३) स्नातकोत्तर डिप्लोमा (निटवेयर डिज़ाइन एवँ तकनीक), १९९८-२००० - राष्ट्रीय फ़ैशन तकनीकी संस्थान (NIFT) , मुम्बई

परिवार में बचपन से आत्म-निर्भर बनने की शिक्षा मिली। १२वीं में व्याव्सायिक विषय के रूप में विज्ञान के प्रचलन के कारण विज्ञान की पढ़ाई कीं परंतु अपना रुझान कला की ओर देखकर स्नातक (१९९८) चित्रकला (विशेष) तथा अंग्रेजी विषयों से बनस्थली विद्यापीठ, राजस्थान, से किया। दोनो विषय बहुत पसंद आये। उस दौरान कुछ चित्रकला प्रदर्शनियों में हिस्सा लिया तथा 'राजस्थान ललित कला अकादमी', जयपुर द्वारा सत्रहवी छात्र कला प्रदर्शनी (१९९७) मे‍ 'आफ्टर स्टडी' नामक 'कोलाज' पुरस्कृत किया गया। अपनी चार और सहपाठिनों के साथ 'पंचम ग्रुप' बनाया और मई ११९८ में जवाहर कला केंद्र, जयपुर की 'सुकृति' आर्ट गैलरी में कला-प्रदर्शनी भी लगाईं।

चित्रकला के क्षेत्र में आगे बढ़ने की बहुत इच्छा थी किंतु पहले आत्म-निर्भर बनना चाहती थीं। स्नातक पूरा करते ही राष्ट्रीय फ़ैशन तकनीकी सन्स्थान (NIFT) में चयन हो गया और निफ़्ट मुम्बई से निटवेयर डिज़ाइन व तकनीक में स्नातकोत्तर डिप्लोमा किया (१९९८-२०००) । उसके बाद मुंबई में ही टी-शर्ट और शर्ट के 'डिजाइनर' के पद से नौकरी शुरू कीं। मुंबई - सिलवासा, दिल्ली - लुधियाना, आपका कार्य-क्षेत्र रहा है। आठ वर्ष निर्यात प्रतिष्ठानों में कार्य करने के बाद अब वह शिक्षा के क्षेत्र में गुड़्गाँव स्थित व्यावसायिक पाठ्यक्रम संस्थान 'इंस्टीच्यूट आफ अपैरल मैनेजमेंट' [http://www.iamindia.in/] में उप महाध्यापक [Assistant Professor] के पद पर कार्यरत हैं ।

शिक्षा अंग्रेजी माध्यम स्कूल से किया, एवं स्नातक चित्रकला तथा अंग्रेजी विषयों से परंतु हिन्दी भाषा एवँ कविता से बचपन से विशेष लगाव रहा। 'अंकुर' नामक स्कूल की पहली हिन्दी पत्रिका की सम्पादिका भी रह चुकी हैं। बचपन से ही जब भी मन में भाव उठे, प्रश्न उठे, सशक्त हुए और उन्हें अभिव्यक्त करने की इच्छा हुई तब आपने कागज-कलम उठाया और लिखना शुरू किया।

लेखन, साहित्य, चित्रकला, संगीत एवँ फोटोग्राफी में रूचि। जनवरी २००६ से हिन्दी तथा अंग्रेजी चिठ्ठाकारी में सक्रिय। महानगरी भाग-दौड़, काम-काज और पारिवारिक जिम्मेदारियों में कला और साहित्य कहीं पीछे छूटता सा लगने लगा था पर अंतरजाल और चिठ्ठाकारी ने फिर से इन बातों में सक्रियता लाना शुरू किया तथा प्रोत्साहन भी मिला। आप जितने काम करना चाहती हैं उसके लिए आपको एक जिंदगी बहुत छोटी प्रतीत होती है।




संपर्क-

वेबसाइट : www.seemakumar.in
ई-मेल- seemakumar9@gmail.com







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