निखिल आनंद गिरि

प्रकाशित कवितायें

  1. वक़्त लगता है ईनामी कविता

  2. तुम सिखा दो यूनिकविता

  3. मैं नहीं हूँ... (ईनामी कविता)
  4. वो गुमनाम नहीं होगा... (ईनामी कविता)

  5. हो सके तो.....(ईनामी कविता)

  6. बाईस बरस

  7. काश.......

  8. एक अधूरा सच

  9. एक ही रोज़

  10. इन दिनों

  11. कह री दिल्ली

  12. क्षणिकाएँ .............

  13. बड़े लोगों से

  14. अपना घर

  15. मैं (भाग-१)

  16. मैं......(अन्तिम भाग)

  17. मैं मीडिया का एक छात्र....

  18. ओ सूरज की पहली किरण!....

  19. ...खुश बहुत हैं ये आदमी जैसे

  20. ...मोतियों की आस में

  21. ....तेरा अक्स

  22. ..सुनामी में तबाह हुई जिंदगी को समर्पित

  23. क्षणिकाएँ.....

  24. मैं अगर मैं न रहूँ.....

  25. ...एक ख़ास पल

  26. शोकगीत

  27. नज्म इक रिस रही है सीने से

  28. क्या कहें-क्या क्या ज़माना चाहता है...

  29. जोगीरा सा रा रारा....

  30. जोगीरा सा रा रा रा....

  31. अंधेरे में जुगनू....

  32. मैं पथ का कंकड़, कैसे हो मंदिर की अभिलाषा

  33. जो भी मिलता है यहाँ, मिलता है अपने काम से...

  34. छत पर मैं हूँ और चाँद है...

  35. दूरियां कब कर सकीं हैं प्रेम का माधुर्य कम...

  36. मुझे वक्त दे मेरी जिंदगी....

  37. नींद में डूबा चाँद चुराना क्या मुश्किल है....

  38. चांद छूना चाहता था...

  39. मेरे आँसू यही कहते हैं तुमसे बार-बार...

  40. "हम ख़बर हैं, बाकी सारा भ्रम है.....”

  41. बेलिबासों की गली में सर झुकाते रह गए...

  42. विकल्प...

  43. कच्ची उम्र की लड़कियां

  44. यात्रा का यह पड़ाव.....

  45. मॉल है या कि अजायबघर है..

  46. तुम्हारा चेहरा मुझे ग्लोब-सा लगने लगा है...

  47. रिश्तों की एक पुड़िया मेरे पास है........

  48. प्यार ने पैदा किए हैं वैज्ञानिक


जन्म- ९ अगस्त
जन्मस्थान- छपरा (बिहार)
निवास स्थान- समस्तीपुर
पिता श्री सुरेन्द्र गिरि सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी, बिहार सरकार, माँ गृहणी, चार भाइयो-बहनों में सबसे छोटे।
पिता के स्थानान्तरण की वजह से बिहार और झारखण्ड के कई क्षेत्रों में समय गुजरा। स्कूल-स्तरीय शिक्षा डीएवी हेहल, राँची से, स्नातक करीम सिटी कॉलेज़, जमशेदपुर। मीडिया के क्षेत्र में रुचि थी, सो जन-सम्प्रेषण (मास कम्यूनिकेशन) से परास्नातक (एम.ए.) की डिग्री हासिल करने के लिए जामिया में दाखिला लिया, और मीडिया का मास्टर होने का सर्टिफिकेट हासिल किया।
स्कूल के ज़माने से कविताओं का शौक लगा, पहले कविताएँ छिपाकर लिखते थे, फ़िर समाचर-पत्र में कविताएँ छपीं, तो घरवालों को पता चला कि बेटा कवि हो गया है। शुरू से ही अच्छे छात्र, पापा का सपना था कि बेटा डॉक्टर-इंज़ीनियर बने। इन्होंने अपने पिता के सपने को पूरा किया और बन गये समाज की नब्ज़ पकड़ने वाला डॉक्टर।
जमशेदपुर में पढ़ाई के साथ-साथ दैनिक जागरण, 'प्रभात ख़बर' में नौकरी भी की, प्रभात ख़बर का गहरा प्रभाव। ग्रेजुशन में ही एक डॉक्यूमेंटरी बनाई 'ऑन द एज़॰॰॰(जमशेदपुर की ही एक चूना-भट्टा बस्ती पर)"॰॰॰॰ फ़िर 'रेडियो जामिया ९०॰४ एफ़एम', वॉयस ऑफ इंडिया न्यूज़ चैनल, महुआ न्यूज़ से होते हुए फिलहाल ज़ी(UP) की नौकरी....

शौक- साहित्य, गीत-संगीत, क्रिकेट और रेडियो।

संपर्क - 09711074170
Email- memoriesalive@gmail.com

बैठक-मंच के सम्पादक
हिन्द-युग्म पर इनका वार- रविवार