श्याम सखा ‘श्याम’

प्रकाशित कविताएँ/ग़ज़लें
  1. मैं जब भी हक ओ हकूक की बात करता हूं
  2. देह तो मात्र जवान गठीली, उत्तेजक माशपेशियाँ तथा गोलाईयाँ हैं
  3. गीत, ग़ज़ल या गाली लिख
  4. क्या होगा कोई मनुष्य?
  5. जो भी दिल्ली आता है, हो जाता चांडाल है
  6. माँ का दु:खी होना वाजिब है
  7. गद्दी की पसंद- कूल्हें नरम और जेब गर्म
  8. गम दिये दी खुशी शुक्रिया जिन्दगी
  9. एक दिन का ख्वाब
  10. अंग सभी पुखराज तुम्हारे
  11. हवा में टंगे लोग
  12. राह मिल्यो वो छैल छबीलो
  13. इतने नाजुक सवाल मत पूछो
  14. एक्ल्व्य का अंगूठा-गुरु ने नहीं कटवाया?
  15. ये भी क्या जिन्दगी हुई साहिब
  16. दिल पे मगर हिन्दी-हिन्दुस्तान लिखना
  17. यारो मैने खूब ठगा है
  18. इस धड़कन में तो बहुत से नाम थे
  19. दिल कितना घायल होगा
  20. जख्म मेरे खुले खिड़कियों की तरह
  21. आधा-दिल
  22. आधी मुलाकात?
  23. दर्द दिल में है पर मुस्करा
  24. तेरी आँच में, हर खुशी, हर गम, खाक हुआ
  25. दर्द को दिल से लब पे आना था
  26. वो है मेरा राँझना, मैं हूँ उसकी हीर (दोहे)
  27. क्या फर्क पड़ता है?
  28. तेरा सलोना बदन
  29. कोई मेरे जख्म सी दे
  30. मुझे छोड़कर तुम कहां जा रहे हो
  31. करेगा तामीर प्यार का तू मकान कब तक?
  32. है बदलना,वक्त जिनको
  33. शाखों में जा दुबकी कलियां
  34. देखो पुराने ये क्लैंडर
  35. बांका दिलबर था, क्या करता
  36. मीठी यादें खारी मत कर
  37. मन की लागी आग तो ,वो ही सके बुझाय
  38. चाँद आँगन में मेरे उस रोज मुस्काता तो है
  39. इंसान ही देख सकता है सपने
  40. भीड़ में अकेलापन
  41. दिल में ग़म की किताब रखता है
  42. मेरे मरने पे कब्रिस्तान बोला
  43. हक ले के है रहना
  44. सीखना
  45. तो पत्थर जनाब हम भी हैं
  46. उसकी किस्मत किसने लिक्खी?
  47. औरत के बहुआयामी जीवन एवम्‌ व्यक्तित्व पर केन्द्रित 38 शे'रों की एक ग़ज़ल
  48. अकेले में ही हमसे जिन्दगी
  49. मां क्यों भूल जाती है?
  50. खोलकर दिल दिये गम तूने
  51. चुप रहूँगा तो अनकही होगी
  52. मौत न जाने कैसी होगी?
  53. चाँद सितारे एक तरफ़ आप हमारे एक तरफ़
  54. घूस मिली हर कुरसी पर


जन्म- 28 अगस्त 1948 रोहतक
जननी- श्रीमति जयन्ती देवी
पिता- श्री आर॰आर॰शास्त्री
जन्म सहायिका- नान्ही दाई [पाकिस्तान चलीं गयी बंटवारे में]
सम्प्रति- अनिवार्य -चिकित्सा
ऐच्छिक-पठन-लेखन,छायांकन,घुमक्क्ड़ी
शिक्षा- डिग्रियां, एम.बी;बी,एस, एफ़.सी.जी.पी,एल.एल.बी[प्रथम]
जीवन की पाठशाला में अनेक पीड़ाओं से आनन्द ढूँढ़ने की कला पूज्य पिताजी व एक स्नेहिल मित्र डाक्टर एन के वर्मा [सर्जन] अब इहलोक में नही दोनों
पुरस्कार: दोस्तो की गालियां, रिश्तेदारों की जलन व डाह
मूल निवास- रूह कुछ टूटे दिलों में, पार्थिव शरीर-आधा दिन गोहाना अस्पताल में, रात-रोहतक
शेष वक़्त-सफर में गोहाना से रोहतक व बैक
लेखन- भाषा -हिन्दी,पंजाबी,अंग्रेजी,पंजाबी व उर्दू [देवनागरी लिपि में]
प्रकाशित पुस्तकें- ३ उपन्यास,३ कहानी सं,४ कविता सं.१ गज़ल सं,१ लघुकथा सं,एक दोहा सतसई,१ लोक कथा सं.
प्रकाशन प्रतीक्षा में- कई विधाओं की १६ पुस्तकें
लेखन सम्मान-
1 पं.लखमी चंद पुरस्कार [ हरियाणा साहित्य अकादमी का लोक-साहित्य व लोक संस्कृति पर सर्वोच्च पुर.राशि १ लाख रु]
2 अब तक हिन्दी पंजाबी हरयाण्वी की ६ पुस्तकें व ५ कहानियां हिन्दी व पंजाबी अकादमी द्वारा पुर.]
3 पद्मश्री मुकुटधर पांडेय [ छ्त्तीस गढ़ सरिजन सम्मान २००७
4 अम्बिका प्रसाद दिव्य रजत अलंकरण कथा सं अकथ हेतु २००७]
5 कथा-बिम्ब कथा पुर.मुम्बई, राष्ट्र धर्म कथा पु २००५ लखनऊ
6 सम्पाद्क शिरोमणि पु श्रीनाथ द्वारा साहित्य मंडल राजस्थान
7 रोटरी इन्टरनेशनल व अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित
चिकित्सा क्षेत्र- चिकित्सा रत्न सम्मान-इन्डियन मेडिकल एशोसिएसन हरियाणा का सर्वोच्च सम्मान
विशेष
1. श्री श्रीलाल शुक्ल, डा.रामदरश मिश्र,डा नरेन्द्र कोहली व श्रीमति चित्रा मुदगल के कहानी सं,
कविता सं पर पत्रों के अलावा लगभग ५०० पाठको के पत्र
2. एक उपन्यास कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय व महर्षि दयानन्द वि, के एम,ए फाइनल पाठ्यक्रम में
एक कहानी भी
3. फोटो ग्राफी में कार्य के अतिरिक्त श्री अशोक बहल [फोटो ग्राफर आफ डैडी, चाहत,महेश भट्ट की
फिल्मों व अन्य अनेक फिल्मों ,इम्तिहान व सैलाब सीरियल] के प्रथम फोटो शिक्षक होने का
श्रेय
4. साहित्य पर अब तक पी. एच. डी. हेतु एक शोध व एम. फिल. हेतु ३ लघु शोध सम्पन्न

संप्रति- निदेशक,हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकुला

पता- जब सोने को जमीं है
ओढ़ने को आसमां है
दोस्तो फिर क्यों पूछते हो
मेरा घर कहां है
सम्पर्क- shyam.skha@gmail.com घुमन्तू भाष-09416359019

ब्लॉग- http//:gazalkbahane.blogspot.com/ और http//:katha-kavita.blogspot.com/



प्रेमचंद सहजवाला

हिन्द-युग्म पर कवितायें

  1. पुस्तक मेले पर एक कविता

  2. ग़ज़ल

  3. तीस प्रतिशत की छूट है सब पे, 'एम.एल.ए. आन सेल' है भाई।

  4. ढूंढ़ते हो मुम्बई में राज कपूर, आजकल राज ठाकरे हैं यहाँ

  5. शहर सा ये शोर कैसा आ गया है गांव में

  6. सनसनी बिकती है दुनिया के बड़े बाज़ार में

  7. राम भक्तों का बहुत होने लगा 'ड्रामा' यहाँ

  8. पत्थरों के पांव में रक्खा हुआ परसाद था

  9. इक सुरीली तान के वश में हुए हैं क्यों सभी

  10. हमारे गांव के सूखे हुए शजर क्यों हैं

  11. गुजरात 2002 में हुई नृशंस मुस्लिम हत्याओं पर

  12. आ गयी है सल्तनत फौलाद की अब गांव में

  13. तारे ज़मीन के हैं या हैं आस्मान के

  14. जल रहे थे जिस्म दोनों प्यार की ही आग में

  15. रास्तों से गपगापते चल दिये

  16. वो इक विमान से तफ्तीश करने आया था

  17. लहू सभी का है जब एक तो ये मज़हब क्या

  18. सब रसूलों में बहुत तकरार है

  19. दो मिनट का मौन रखना सीख ले

  20. जवां के काँधे पे मज़हब का इक तमंचा है




नाम – प्रेमचंद सहजवाला
जन्म – १८ दिसम्बर १९४५

शिक्षा – एम एस सी (गणित)
सम्प्रति– भारत मौसम विज्ञान विभाग से सहायक मौसम विज्ञानी के पद से ३१ दिसम्बर २००५ को सेवानिवृत्त।

साहित्य यात्रा – (I) हिन्दी -हिन्दी की प्रमुख पत्रिकाओं यथा धर्मयुग, साप्ताहिक, सारिका, रविवार, कहानी आदि में लगभग ८० कहानियाँ प्रकाशित। कुछ कहानियाँ आकाशवाणी से प्रसारित। कुछ कहानियाँ पुरस्कृत।

कहानी संग्रह-१॰ सदमा २॰ कैसे-कैसे मंज़र ३॰ टुकड़े-टुकड़े आसमान।

दूसरे संग्रह पर शिक्षा मंत्रालय का पुरस्कार. पहले संग्रह की भूमिका श्रीपत राय ने लिखी जो कि ‘कहानी’ पत्रिका के संपादक थे व मुंशी प्रेमचंद के सुपुत्र थे। इनके संग्रह की भूमिका में उन्होंने इन्हें अपनी संतति घोषित किया। इनके मित्रगण प्रसन्न थे कि प्रेमचंद का सुपुत्र श्रीपत राय और उनके साहित्यिक सुपुत्र प्रेमचंद सहजवाला बने।

कविता बहुत कम लिखी व कुछ ग़ज़लें भी लिखी। थोड़ी सी सफलता भी मिली। पर मूलतः कहानीकार माने जाते हैं। एक पत्र में धारावाहिक लघु-उपन्यास भी छपा।

(II) अंग्रेज़ी- आजकल कई वेबसाइटों पर इनके इतिहास, राजनीति व धर्म संबंधित लेख हैं। (www.youthejournalist.com, www.sulekha.com, www.merinews.com). जनवरी २००६ में इनका 'इंग्लिश इनसाइक्लोपिडिया' छपा ( 'इंडिया थ्रू क्वेशचन्स एण्ड ऑनसर' दो वाल्यूमों में)।

(III) सिंधी – सिंधीभाषी होने के नाते सिंधी ग़ज़ल व लेख लिखे।

हिन्द-युग्म ने हिन्दी साहित्य से इन्हें दुबारा जोड़ लिया।


हिन्द-युग्म पर आलेख

  1. तुलसी जयन्ती विशेष

  2. कृष्ण तेरा युद्ध दर्शन क्या कहें, मौत के सुनसान की बस भोर है

  3. अहमद फ़राज़ की याद में प्रेमचंद सहजवाला की विशेष प्रस्तुति

  4. आदमी की पीर गूंगी ही सही गाती तो है..

  5. महादेवी वर्मा का आशीर्वाद भरा हाथ

  6. ऐ शहीदे मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार

  7. आशिकों का आज जमघट कूचए कातिल में है...

  8. क्या तमन्ना-ऐ- शहादत भी किसी के दिल में है (1)

  9. क्या तमन्नाये शहादत भी किसी के दिल में है (2)

  10. देखना है ज़ोर कितना बाज़ू ए कातिल में है...

  11. सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है...

  12. हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है...

  13. रहबरे राहे मुहब्बत रह न जाना राह में...

  14. जब बिछी लाशें विदा कर दी गईं

  15. लज्ज़ते सहरा-नवर्दी दूरिये - मंजिल में है


विनय के. जोशी



नाम: विनय के. जोशी
पिता: श्री केशव कान्त जोशी
शिक्षा: एम काम, सीएआईआईबी
नौकरी: एसडब्ल्यूओ, स्टेट बेंक आफ बीकानेर एण्ड जयपुर न्यू फतहपूरा ब्रांच
उदयपुर (राजस्थान)
जन्म दिनांक: ०६/०४/१९५८

जन्म स्थान: उदयपुर

प्रारम्भिक एवं कालेज शिक्षा उदयपुर में । उदयपुर विश्वविद्यालय मे छात्र जीवन में सांस्कृतिक सचिव । आकाशवाणी के उदयपुर केन्द्र पर लगभग पांच वर्ष तक युववाणी कार्यक्रम प्रस्तुतिकरण एवं संचालन । ’एक शहर की दास्तां’, -’बंद’, -”यहीं सच है’, -”ये तो खेल नहीं’, ”तिमिर युद्ध’, आदि कई लघुनाटकों का लेखन निर्देशन ।
”दयाशंकर’, -”मुझे चांद नहीं होना’, -”गुलेल का कंकर’, -”बाउड्या सल्ला’, -”बजरबट्टू’, -”अवलम्ब’, -”खरपतवार’, -”चाप से परे’, -”चालान’, -”कन्यादान’, -”वट्ली’, -”दो भगौडे’, आदि कहानियां, अनैक कविताओं एवं लघुकथाओं का लेखन ।
दैनिक भास्कर, रसरंग, मधुरिमा, मेरी सहेली, बुध्दिदा, अनुभूति एवं बेंक की अनेक गृहपत्रिकाओं में प्रकाशन ।
कविता संग्रह ’आषिका’, एवं कथा संग्रह ’नब्बे प्रतिशत’, प्रकाशन प्रक्रियाधीन ।
श्रम मंत्रालय राजस्थान सरकार द्वारा बालश्रमिक विषयक लेखन पुरस्कृत ।
कहानी ’नब्बे प्रतिशत’ भास्कर रचनापर्व, दैनिक भास्कर द्वारा पुरस्कृत ।
लघुनाटक ’आखर बाबा’ जवाहर कला केन्द्र द्वारा वर्ष २००४ हेतु पुरस्कृत एवं मंचित ।
पता:
विनय के. जोशी
६२, भटियानी चौहट्टा
प्राकृतिक चिकित्सालय के सामने
उदयपुर (राजस्थान) ३१३००१
फोन : ०२९४ २४२१६१६ मो. ९८२९१९९०१६
E mail vinaykantjoshi@yahoo.co.in

आत्म-कथ्य
अनुभूतियां जब भावनाओं की सरिता में उतर जाती हैं तो मन को चारों ओर शब्दों के सुमन तैरते नजर आने लगते हैं । बस, एक-एक शब्द चुनते जाना है और माला पिरोते जाना है , फिर गांठ लगा देनी है । गांठ ........ यानी, वह दर्द या वह आनंद जिसने आंदोलित किया कुछ कहने को ।
सब कुछ बहुत सहज है, आवश्यकता है पूर्वाग्रहों - दुराग्रहों से मुक्त एक मन की ।

देवेन्द्र कुमार पाण्डेय




नाम- देवेन्द्र कुमार पाण्डेय
जन्म तिथि- ०४-०७-१९६३
कार्यालय- कार्यालय जि०वि०नि०-वाराणसी में लेखाकार पद पर कार्यरत।
शिक्षा- बी०काम०आनर्स -एम०काम०-काशी हिन्दू विश्वविद्यालय-वाराणसी।
पता- सा-१०/६५- शांती नगर कालोनी-गंज-सारनाथ-वाराणसी।
साहित्यिक गतिविधि- न्यूनतम-----बचपन से शौकिया कविता लेखन---विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित-आकाशवाणी-दूरदर्शन से काव्य-पाठ-----मूलतः व्यंग लेखन में ही कार्य।

पावस नीर


मूलतः गुमला झारखण्ड से, १०वीं तक वहीं पढ़ाई, फिर डी॰ पी॰ एस॰ रांची से १२वीं, आजकल दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी स्नातक की पढ़ाई जारी। बचपन से घर पर साहित्य का माहौल मिला, या यूं कहें कविता घर के खाने में घुली मिली रही। पहली बार ६ठी कक्षा में किसी को प्रभावित करने के लिए कविता लिखे, खैर वो प्रयास तो असफल रहा पर कविता का प्रयास अभी भी जारी है. पहली कविता प्रभात ख़बर में छपी। फिलहाल अखबारों में स्वत्रांत लेखन के साथ कविता-लेखन का प्रयास चल रहा है।